भारत के नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की 125 वीं जयंती पर सुभाष चौक पर माला पहनाकर कायस्थ समाज ने मिठाई खिलाकर धूमधाम से मनाई जयंती*

 *भारत के नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की 125 वीं जयंती पर  सुभाष चौक पर माला पहनाकर कायस्थ समाज ने मिठाई खिलाकर धूमधाम से मनाई जयंती*




*बदायूँ,।* अखिल भारतीय  कायस्थ महासभा द्वारा महान राष्ट्रवादी और देशभक्त नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय इतिहास के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को आज कायस्थ समाज द्वारा माला पहनाकर उनको याद किया। आज पूरा भारत उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है। 

23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर (बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत) में उनका जन्म हुआ था। नेताजी के जीवन पर स्वामी विवेकानंद जी की शिक्षाओं का बहुत प्रभाव था। स्वामी विवेकानन्द जी के साहित्य से प्रेरित होकर ही नेताजी उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु तथा चितरंजन दास जी को राजनीतिक गुरु मानते थे। ‘जय हिंद’ जैसे अनेक प्रसिद्ध नारे देकर नेताजी ने भारतीयों की आत्मा को झकझोरा था, ऐसे महान क्रान्तिकारी को कायस्थ समाज ने उनको याद किया । 

 इस मौके पर  कलेक्ट्रेट के  रिटायर्ड कर्मचारी नेता  रमाकांत सक्सेना ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भारत के एक अनमोल रत्न थे और सदा रहेंगे। भारत के ऐसे अनमोल रत्न को उनकी 125 वीं जन्म जयंती के पावन अवसर पर भारत सरकार द्वारा ’’भारत रत्न’’ से सुशोभित किया जाये तो हर भारतीय को अपार प्रसन्नता होगी। साथ ही नेताजी के मौत के सभी रहस्यों पर से पर्दा भी उठाया जाये ताकि पूरे राष्ट्र को अपने चहेते नेताजी जी की मौत के बारे में जानकारी मिल सके। यह उनके लिये हम सभी की ओर से श्रद्धाजंलि होगी।  

 जिला बार के अध्यक्ष शैलेंद्र सक्सेना ने वहां आए हुए कायस्थ समाज  का आभार व्यक्त करते कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की जयंती वास्तव में एक ‘पराक्रम दिवस’ है। ’’आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके’’ ऐसे क्रान्तिकारी विचार एक महान पराक्रमी और देशभक्त के ही हो सकते हैं। नेताजी ने आजाद हिंद फौज का गठन कर भारतीयों को एकता और संगठन शक्ति का परिचय कराया था। 

 बीकेडी किसान नेता राजेश सक्सेना ने कहा कि इतिहासकारों का कहना है कि नेताजी द्वारा बनाई गई आजाद हिन्द फौज को छोड़कर शायद ही विश्व-इतिहास में ऐसी कोई घटना हुई हो, जहां करीब 30-35 हजार युद्धबन्दियों ने एक साथ मिलकर अपने देश की आज़ादी के लिए ऐसा जबरदस्त संघर्ष किया हो। 

 अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के प्रदेश महामंत्री   विपिन जौहरी ने कहा कि नेताजी में कुशाग्र बुद्धि के साथ  संगठन की भी अद्भुत क्षमता थी। उनके विचार आज भी जनमानस में देशभक्ति का जज़्बा और जोश पैदा करते हैं।                        पूर्व ब्लाक प्रमुख  धीरज सक्सेना ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी के हृदय में अपनी मातृभूमि के प्रति अगाध श्रद्धा और प्रेम था उनके इन शब्दों में उस प्रेम के साक्षात दर्शन होते है ‘‘हमारी मातृभूमि स्वतन्त्रता की खोज में है। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा। यह स्वतन्त्रता की देवी की माँग है।’’ राष्ट्रीयता की भावना के प्रसार एवं स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने में सुभाष चंद्र बोस जी ने बहुमूल्य योगदान दिया। भारत और भारतीय सदैव उनके प्रयत्नों के लिये आभारी रहेंगे। आईये आज उनकी जयंती पर संकल्प लेते हैं कि उन्होंने जो राष्ट्रीयता की मशाल जलायी है उसे हमेशा अपने दिलों में प्रज्वलित रखेंगे। 

 इस मौके पर राजीव नारायण रायजादा, महेश चंद सक्सेना, विकास बाबू आर्या, दीपक सक्सेना दीपू कातिब, विश्वनाथ सक्सेना, मोहित सक्सेना, रमेश चंद सक्सेना, प्रवीन सक्सेना, सुशील सक्सेना, धर्मेंद्र आर्य, विजय सक्सेना, चंद्रप्रकाश जौहरी, अनिल जौहरी, नवीन सक्सेना, विनोद सक्सेना, आदि लोग मौजूद रहे l 


*बदायूँ से संवाददाता एडवोकेट विकास बाबू आर्या की रिपोर्ट*

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